नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? नेतृत्व की आवश्यकता, एवं विशेषताएं

By Arun Kumar

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नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ(Meaning and Definitions of Leadership)

नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करता है तथा यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उत्साहपूर्वक कार्य करते हैं। किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सम्प्रेषण के माध्यम से व्यक्तियों को प्रभावित कर सकने की योग्यता, नेतृत्वकहलाती है।

नेतृत्व को अधिक स्पष्ट रूप से निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है- चेस्टर बर्नार्ड के अनुसार, “नेतृत्व का आशय व्यक्ति के व्यवहार के उस गुण से है जिसके द्वारा वह अन्य लोगों को संगठित प्रयास से सम्बन्धित कार्य करने में निर्देशन करता है।”

बर्नार्ड कीज एवं थॉमस केस ने नेतृत्व को व्यक्तियों को प्रभावित करने एवं उन्हें सहयोग प्रदान करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में उत्साहपूर्वक योगदान दे।

नेतृत्व की आवश्यकता (Need of Leadership)

किसी भी संगठन के लिए नेतृत्व का विशेष महत्व होता है। नेतृत्व के द्वारा विभिन्न कार्यों का निष्पादन होता है। नेतृत्व की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है-

(1) परस्पर विरोधी हितों में एकात्मकता- नेतृत्व में प्रायः विभिन्न हित समूह होते हैं परन्तु कभी-कभी यह परस्पर विरोधी हो जाते हैं जिससे ये अपने उद्देश्यों की प्राप्ति पर अधिक जोर देते हैं। इससे संगठन की प्रभावशीलता कम हो जाती है। नेतृत्व के द्वारा परस्पर विरोधी हितों में सकारात्मकता आती है। संगठन में नेतृत्व प्रक्रिया द्वारा उद्देश्यों को इस प्रकार निर्धारित किया जाता है कि प्रत्येक समूह इन उद्देश्यों को अपना उद्देश्य समझते हैं जिससेसंगठन में व्यक्तिगत एकता की स्थापना होती है।

(2) अभिप्रेरणा प्रणाली का विकास- नेतृत्व के माध्यम से प्रायः संगठन में उचितअभिप्रेरणा का विकास किया जाता है। चूँकि अभिप्रेरणा एवं कार्य निष्पादन में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। अतः व्यक्ति प्रायः अभिप्रेरणा प्राप्त करके स्वेच्छापूर्वक उत्साहित होकर संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान देते हैं।

(3) संगठनात्मक संस्कृति का निर्धारण- संगठनात्मक संस्कृति प्रायः उन विशेषताओं के रूप में होती है जिनके आधार पर व्यक्ति प्रायः संगठन में कार्य करते हैं। ये विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती हैं तथा दीर्घकालिक होती हैं।

उच्च संस्कृति की संगठनात्मक एवं कार्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) उच्च नैतिक मूल्यों को संगठन के आन्तरिक एवं बाह्य कार्यों पर बल देना।

(ii) नवीन विचारों के सृजन एवं परिवर्तन पर बल देना।

(iii) सामूहिक एवं भागीदारी निर्णयन प्रक्रिया पर बल देना।

(iv) उच्च मानकों का क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन के सभी क्षेत्रों में उपयोग।

(v) संगठन के समस्त स्तरों पर अधिकार प्रदान करना।

(vi) विभिन्न पदों पर परस्पर योग्यता के आधार पर नियुक्ति हो जिससे अनावश्यक राजनीति विकसित न हो।

(vii) संगठन में प्रायः कार्य निष्पादन एवं पारितोषक के मध्य प्रत्यक्ष सम्बन्ध हो जिससेव्यक्तियों को कार्य करने के लिए प्रेरणा प्राप्त हो।

(4) उच्च वृद्धिपरक संगठन का निर्माण- नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण कार्य उच्च वृद्धिपरक संगठन का निर्माण करना है। विभिन्न सफल संगठनों की सफलता किसी व्यक्ति विशेष के नेतृत्व गुणों का परिणाम होती है। वृद्धिपरक संगठन के निर्माण में नेतृत्व प्रायः इस प्रकार संगठन के उद्देश्यों का निर्धारण करता है कि वह व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण हो तथा व्यक्ति को इन चुनौतियों को स्वीकार करने की क्षमता प्रदान करता है। नेतृत्व में ये दोनों क्रियाएँ समान रूप से चलती रहती हैं जिससे संगठन की दर उच्च स्तर की होती है।

(5) नेतृत्व का विकास करना– किसी संगठन का प्रमुख नेता अन्य नेताओं में नेतृत्व क्षमता का विकास करता है जिससे संगठन की निरन्तरता बनी रहती है।

(6) संगठनात्मक परिवर्तन लाना- किसी संगठन में उचित परिवर्तन लाना तथा वातावरण में एकीकरण की स्थापना करने में नेतृत्व की विशेष महत्ता होती है। वातावरण परिवर्तनशील होता है अतः संगठन में भी परिवर्तन की आवश्यकता होती है।

अतः नेतृत्व का महत्वपूर्ण कार्य परिवर्तित वातावरण के अनुरूप स्वयं में परिवर्तन करना एवं संगठन को इन समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार करना होता है। इसके लिए नेतृत्व को निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए-

(अ) परिवर्तन केवल परिवर्तन हेतु न होकर अर्थपूर्ण होना चाहिए जिससे व्यक्ति इसे स्वेच्छा से स्वीकार कर सके।

(ब) संगठन में परिवर्तन के पूर्व उचित वातावरण का निर्माण करने के बाद व्यक्ति को विश्वास दिलाना।

(स) परिवर्तन के समय व्यक्तियों को उचित महत्व दिया जाए। नेतृत्व विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यक्ति के अन्दर प्रायः स्वानुभूति, स्वाभिप्रेरणा के ज्ञान का विकास एवं आन्तरिक योग्यता की समझ एवं विकास किया जाता है। व्यक्तियों में इन सभी विशेषताओं की विद्यमानता से नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

भास्कर जोश में आपका स्वागत है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आप को नेतृत्व क्या है और इसके प्रकार? नेतृत्व से आप क्या समझते हैं इस संबंध में पूरी जानकारी देते है।

FAQ

Q. नेतृत्व का क्या मतलब होता है?

A. नेतृत्व का मतलब जोखिम उठाना और यथास्थिति को चुनौती देना है। नेता दूसरों को कुछ नया और बेहतर हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं।

Q. नेतृत्व क्या है और इसके प्रकार?

A. नेतृत्व के आठ प्रकार हैं निरंकुश, नौकरशाही, लेन-देन, लोकतांत्रिक, अहस्तक्षेप, करिश्माई, परिवर्तनकारी और सेवक।

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