पांच पुलिसकर्मियों से हत्या का आरोप हटाए जाने की होगी दोबारा सुनवाई

By Arun Kumar

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डेस्क न्यूज। उत्तर प्रदेश के कानपुर प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में हत्या के आरोपों से बरी पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ दोबारा सुनवाई होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआइ कोर्ट को उस आदेश की समीक्षा करने को कहा है, जिसमें उसने आरोप तय करते वक्त छह में से पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटा दी थी।

मनीष गुप्ता कानपुर के रहने वाले थे और करीब तीन साल पहले गोरखपुर के होटल में स्थानीय रामगढ़ताल के थाना प्रभारी व अन्य पांच पुलिस कर्मियों ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला था।27 सितंबर 2021 को बर्रा 5 निवासी प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ काम के सिलसिले में गोरखपुर गए थे।

गोरखपुर के तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस

गोरखपुर के थाना रामगढ़ताल के तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में तीनों ठहरे हुए थे। रात को पुलिस ने होटल में छापा मारा। आरोप है कि वसूली के लिए पुलिस कर्मियों ने तीनों दोस्तों की पिटाई की, जिसमें मनीष की मौत हो गई थी।

मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर

दूसरे दिन मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर में पर पुलिस ने हत्यारोपित तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रामगढ़ताल जगत नारायण सिंह सहित छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा पंजीकृत किया था। उसकी विवेचना पहले कानपुर एसआइटी ने की। एक माह बाद यह जांच सीबीआइ को दे दी गई थी। जनवरी 2022 के पहले सप्ताह में सीबीआइ ने विवेचना पूरी करके दिल्ली की विशेष सीबीआइ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था।

सीबीआइ कोर्ट

जनवरी 2023 को सीबीआइ कोर्ट ने मामले में आरोप तय करते समय नामजद दारोगा अक्षय कुमार मिश्र, विजय यादव, राहुल दुबे और आरक्षी कमलेश सिंह, प्रशांत कुमार को सिर्फ साक्ष्य मिटाने, मारपीट, धमकाने का आरोपित माना था।

केवल तत्कालीन थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह के खिलाफ ही हत्या की धारा में मुकदमा चलना था। मनीष गुप्ता हत्याकांड में पीड़ित परिवार के अधिवक्ता केके शुक्ला ने बताया कि सीबीआइ कोर्ट के आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश अमित महाजन की कोर्ट ने मामले में 31 जुलाई को अहम निर्णय दिया हाईकोर्ट ने सीबीआइ कोर्ट से कहा है कि वह पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटाने के अपने फैसले की दोबारा समीक्षा करे। हाईकोर्ट को लगता है कि उक्त मामले में अन्य आरोपितों को हत्या आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता है।

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