बिना फार्म हो गया इम्तिहान, परीक्षा के बिना ही दे दिया गया नंबर

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने गोरखपुर के सेंट एंड्रयूज कालेज और हाटा कुशीनगर के किसान पीजी कालेज पैकौली पर परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत सिद्ध होने पर कड़ी कार्रवाई की है। दोनों कालेजों पर एक लाख रुपये अर्थदंड लगाया है। सेंटएंड्रयूज कालेज को आगे से ऐसी शिकायत न मिलने को लेकर कड़ी चेतावनी दी है और किसान पीजी कालेज को अगले तीन वर्ष तक मौखिक और प्रायोगिक परीक्षा लेने से वंचित कर दिया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कार्रवाई को लेकर रखे गए प्रस्ताव पर परीक्षा समिति ने इस बाबत अंतिम निर्णय दे दिया है।दोनों ही कालेज में गड़बड़ी के अलग-अलग मामले विश्वविद्यालय के सामने आए थे। सेंट एंड्रयूज कालेज की दो बहनों से एलएलबी में प्रवेश लेने के बाद बिना परीक्षा फार्म भराए परीक्षा करा लेने और मामले के विश्वविद्यालय में विचाराधीन होने के बावजूद अगले सेमेस्टर की परीक्षा करा लेने की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने आई थी।

जांच

विश्वविद्यालय ने अपने स्तर से मामले की जांच कराई और शिकायत सही पाई। जांच पाई गई वस्तुस्थिति को विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा समिति के समक्ष रखा तो समिति ने छात्रहित में छात्राओं को दोषी न मानते हुई उनकी कापियों का मूल्यांकन कराके अंक जारी करने का निर्णय लिया लेकिन कालेज को इस कृत्य का दोषी मानते हुए अर्थदंड और चेतावनी की कार्रवाई की।किसान पीजी कालेज पैकौली का मामला इससे बिल्कुल अलग था। वहां करीब सवा महीने पहले समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. केके मिश्रा बतौर वाहह्य परीक्षक बीए द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर की मौखिक परीक्षा लेने गए थे।

डा. अरुणेश त्रिपाठी उस परीक्षा के लिए आंतरिक परीक्षक नामित थे। दोनों ने परीक्षा ली भी लेकिन जब कंप्यूटर पर अंक चढ़ाने की बारी आई तो कालेज प्रबंधक और पूर्व प्राचार्य ने यह कहते हुए उन्हें ऐसा करने से रोक दिया कि चिंता मत करें नंबर चढ़ाया जा चुका है।

विश्वविद्यालय के इस कुकृत्य से नाराज

विश्वविद्यालय के इस कुकृत्य से नाराज होकर प्रो. मिश्रा ने शिकायती पत्र के जरिये तो इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को दी ही, मौखिक परीक्षा के अंकों का विवरण भी विश्वविद्यालय को सौंप दिया। विश्वविद्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते संबंधित विषय का परीक्षा परिणाम तो रोका ही, प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बैठादी।कमेटी ने प्रो. मिश्रा की शिकायत सही पाई और अपनी यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सौंप दी।

विश्वविद्यालय की ओर से इसे परीक्षा समिति की बैठक में रखा गया। समिति ने कालेज के खिलाफ अर्थदंड लगाते हुए तीन साल के लिए प्रायोगिक व मौखिक परीक्षा का अधिकार छीन लिया। अब इस कालेज की प्रायोगिक व मौखिक परीक्षा आसपास के कालेज में कराई जाएगी। यह निर्णय समिति के निर्णय के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिया है।

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