मैं आधा आधा सा कृष्ण,
मैं तुम्हें पूरा क्यूँ मांगू राधा।
मैं खुद सम्पूर्ण नहीं रहा कभी
तुम्हें पूर्ण कैसे मांगू राधा।
तुम मुझे मिलों ना, फिर भी,
मेरे हृदय में तुम्हारा राज है।
तुमसे ही कल और आज है,
तुम्हारी हर कमी मुझे स्वीकार है..
क्या ! तुम्हें मैं स्वीकार हूं राधा ?
नहीं चाहता कि तुम मेरा इंतजार करो,
मैं तुम्हारा इंतजार जीवन भर करूंगा,
नहीं आती बाँसुरी मुझे बजानी,
मैं पुकारु आवाज देकर तुम्हें राधा रानी।
नहीं मुस्कान मेरी कृष्ण जैसी,
पर तुम को देख पल पल मुस्काता हूं।
जब भी तुम्हें स्वप्न मे बुलाता हूं,
तुम्हें उस पार और मैं इस पार पाता हूं।
मैं तुम जैसा होना चाहता हूँ राधे,
तेरे हिस्से का हर दर्द सहना चाहता हूं।
बस यही खूवाहिश मेरी प्यारी राधे,
हर पल खुश रहो तुम बिन तकलीफ के।
मैं आधा आधा सा कृष्ण,
मैं तुम्हें पूरा क्यूँ मांगू राधा।
मैं खुद सम्पूर्ण नहीं,
तुम्हें पूर्ण कैसे मांगू राधा।