अंबेडकरनगर। फिल्म कागज में सरकारी मशीनरी द्वारा जीवित होने बाद भी मृत दर्ज लाल बिहारी को खुद को जिंदा साबित करने में अधिकारियों की चौखट नापने जैसी कहानियां कम नहीं हैं। कुछ ऐसा ही एक प्रकरण यहां भी जिलाधिकारी अविनाश सिंह के सामने आया। सरकारी कागज में मृत घोषित बुजुर्ग केवला देवी गुरुवार को डीएम के समक्ष पहुंचीं।
डीएम ने मामले में पूछा तो बुजुर्ग महिला फफक पड़ीं, बोली साहब मैं जिंदा हूं.
डीएम ने पूछा क्या बात है माताजी। यह सुनकर केवला देवी फफक पड़ीं, बोली साहब मैं जिंदा हूं पर कागजों में मुझे मारा डाला गया है। मेरी मृत्यु वर्ष 2022 में होना बताकर मेरी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई। पिछले दो वर्ष से ग्राम सचिव तथा ब्लाक के चक्कर काट रही हूं। ग्राम सचिव कहते हैं कि शिकायत करने मत जाना, जल्द ही पेंशन जोड़वा दूंगा। अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। यह सुन डीएम हतप्रभ रह गए।
उन्होंने तत्काल समाज कल्याण अधिकारी व खंड विकास अधिकारी को बुलाया। मामले में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा। प्रकरण की जांच अकबरपुर एसडीएम सौरभ शुक्ल एवं समाज कल्याण अधिकारी विक्रम कौशल को सौंपी गई है। बताया जाता है कि उक्त पेंशन काटने के बीच गवाई राजनीति का बुजुर्ग शिकार हुई हैं।
बिना जांच पड़ताल किए मृत घोषित किया
तत्समय उक्त गांव में ग्राम सचिव रहीं सरिता शुक्ला ने किसी दवाव में बिना जांच पड़ताल किए उन्हें मृत घोषित कर दिया। सबसे खास बात परिवार रजिस्टर में उक्त वृद्धा को ग्राम सचिव ने अभी तक मृत दर्ज नहीं किया है। सरकारी कागज में दोहरी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा है। समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि पेंशन चालू करने के लिए विभाग को आवेदन अग्रसारित कर दिया गया है। स्वीकृति होते पेंशन मिलने लगेगी।
जीवित दर्ज हुए तीन लोगः इससे पहले जीवित रहे परमानंद एवं रामअजोर के अलावा रामसहाय को सरकारी कागजों में गलत तरीके से मृत किए जाने के समाचार को भास्कर जोश की टीम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन ने उक्त को जीवित दर्ज कराया तथा दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई का आदेश दिया गया।