आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य
महिलाओं में किशोरावस्था से ही उनके आहार और जीवनशैली पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि महिलाओंमें खून की कमी यानी एनीमिया देशकी सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। जानते हैं इसके प्रमुख कारण और उपचार के बारे में…
डा. आर. वात्स्यायन आयुर्वेदावार्य, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ
महिलाओं में खून की कमी
हमारे देश की महिलाएं स्वास्थ्य को लेकर जिस सबसे गंभीर चुनौती का सामना करती हैं, वह है एनीमिया। इसमें शरीर में लौहतत्व की कमी हो जाने से विकार उत्पन्न होने लगते हैं। एनीमिया का सबसे अधिक जोखिम 15 से 45 वर्ष की महिलाओं तथा उनकी सगर्भ अवस्था के दौरान होता है। देश में करीब 20 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया रोग से ग्रसित हैं।
क्यों होती है रक्ताल्पता
महिलाओं का एक बड़ा वर्ग शाकाहारी है। दूसरा, ये महिलाएं खानपान और स्वास्थ्य के लिए कम सचेत होती हैं। ग्रामीण, अशिक्षित तथा धनाभाव ग्रस्त वर्ग की अधिकतम किशोरियों में एनीमिया की आशंका अधिक होती है। मांसाहारी भोजन में अंडे, मछली, मीट लौह तत्व के बहुत अच्छे स्त्रोत माने जाते है।
समझें एनीमिया को
हमारे शरीर में रक्त तीन प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित है-लाल अथवा रक्त कण, श्वेत कण तथा चत्रिकाएं जिन्हें प्लेटलेट्स कहा जाता है। इनमें रक्त कण लौह युक्त प्रोटीन, जिसे हेमोग्लोबीन (Hemoglobin) कहते हैं, का संचार करते हैं। यही रक्त कण फेफड़ों में आक्सीजन को भी अपने साथ लिए रहते हैं। खून की कमी, रक्ताल्पता में इन लाल कणों की कमी हो जाती है।
खून की कमी होने के पीछे कारण
आधुनिक विज्ञान के अनुसारः लौह तत्व, फालिक एसिड और विटामिन बी की कमी, किसी संक्रमण से लाल कणों का प्रभावित होना।
आयुर्वेद मतानुसार : गलत एवं पोषक तत्वों से रहित आहार से तथा वात, पित्त, कण आदि दोषों की विकृति रक्ताल्पता के मुख्य कारण हैं।
शाकाहारियों के लिए उपयोगी पोषण: चोकर युक्त अनाज और गाजर, चुकंदर, टमाटर, पालक, मेथी एवं अन्य हरी सब्जियां तथा फलों में सेब, केला, अनार, काले अंगूर एवं आलूबुखारे का सेवन एनीमिया की चिकित्सा में प्रशस्त माना जाता है। विटामिन सी वाले खाद्य जहां लौह तत्व के निर्माण में सहायक हैं, वहीं अत्यधिक कैल्शियम सप्लीमेंट तथा एसिडिटी रोकने की दवाओं का अधिक सेवन भी रक्त निर्माण प्रक्रिया में बाधा डालता है।
आयुर्वेदिक समाधानः आयुर्वेदिक ऋषियों ने अनेकों योगों का निर्माण किया है, जिनके सेवन से लौह तत्व की आपूर्ति होती है। लौह, मंडूर और स्वर्णर्माक्षिक भस्मों से लेकर पुनर्नवा मंडूर, नवायस लौह तथा प्रदरांतक लौह जैसी औषधियां हैं जिन्हें चिकित्सक अपने विवेकानुसार एनीमिया से ग्रसित रोगियों के लिए प्रयोग में लाते हैं।
एनीमिया के लक्षण
- साधारण कमजोरी एवं थकान के अतिरिक्तहल्के एनीमिया के कोई विशेष लक्षण नहीं होते।
- रक्ताल्पता की तीव्र अथवा जीर्णावस्था में त्वचा, नाखून एवं मसूढ़ों में पीलापन, सांस चढ़ना, हृदय की धड़कन का बढ़ना, मंद मंदज्वर रहना, भूखका न लगना, इम्युनिटी की कमी।
- महिलाओं में मासिक धर्म की विकृति, गर्भावस्था एवं बार बार संक्रमण रक्ताल्पता को और भी जटिल बना देता है।